Saturday, January 31, 2015

दुर्गा - सप्तशती  के मंत्रो  द्वारा विभिन्न  

उपद्रवों  का  उपचार ----------------
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विविध उपद्रवों से बचने के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र का जाप करते हुए करना चाहिए-
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रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||
विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य |
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||
महामारी नाश के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||
स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की स्तुति इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||
पापनाश और भक्ति प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
प्रसन्नता प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||
जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र से करना चाहिए-
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देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
अपने पापों को मिटाने के लिये इस मन्त्र के द्वारा मां दुर्गा की अराधना करना चाहिए-
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हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||
इस मंत्र के द्वारा विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए मां दुर्गा की स्तुति करना चाहिए-
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यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||
सामूहिक कल्याण के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
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देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

Monday, January 26, 2015

राहू राहू ससुराल है राहू वह धमकी है जिससे आपको डर लगता है | जेल में बंद निर्दोष कैदी भी राहू है | राहू सफाई कर्मचारी है | स्टील के बर्तन राहू के अधिकार में आते हैं | हाथी दन्त की बनी सभी वस्तुए राहू के रूप हैं | रास्ते का पत्थर राहू है | राहू वह मित्र है जो पीठ पीछे आपकी निंदा करता है | दत्तक पुत्र भी राहू की देन होता है | नशे की वस्तुएं राहू हैं | दर्द का टीका राहू है | हस्पताल का पोस्ट मार्टम विभाग राहू है | राहू मन का वह क्रोध है जो सालों के बाद भी शांत नहीं हुआ है | न लिया हुआ बदला भी राहू है | शेयर मार्केट की गिरावट राहू है उछाल केतु है | ताला लगा मकान राहू है | बदनाम वकील भी राहू है | मिलावटी और सस्ती शराब राहू है | राहू वह धन है जिस पर आपका कोई हक़ नहीं है या जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया है | यदि आपकी कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो किसी से कोई चीज़ मुफ्त में न लें क्योंकि हर मुफ्त की चीज़ पर राहू का अधिकार होता है | लेने वाले का राहू और खराब हो जाता है और देने वाले के सर से राहू उतर जाता है | बेटी को भी स्टील के बर्तन अपने मायके से नहीं लेने चाहियें |

राहू के बारे में कहावत है – ” राहु जिसे तारे उसे कौन मारे, राहु जिसे मारे उसे कौन तारे “
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Saturday, January 24, 2015

महान  मन्त्र  शक्ति 

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संसार में एक मात्र सत्य सनातन भारतीय हिंदू संस्कृति ही ऐसी है जिसमें मंत्राराधना तथा प्रार्थना के द्वारा जीवन की समस्त समस्याओं को सान्त्वना मिलती है। यहां तक कि जन्म जन्मांतर के दोषों का समाधान भी मंत्राराधना द्वारा किया जा सकता है। मंत्रों के द्वारा ही दुख दारिद्य रोग शत्रुभय से लेकर विषम से विषम समस्याओं का समाधान मंत्राराधना से किया जा सकता है। अर्थात् धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थ मंत्र साधना से प्राप्त किया जाता रहा है। हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने साधना द्वारा ही ब्रह्ममांड विनायक जगनियंता परम पिता परमात्मा का साक्षात्कार करके संसार को समृद्धिशाली बनाने के लिये बेद वेदांग तथा अनेक शास्त्रों की महती संरचना की है। उन्होंने किसी यांत्रिक क्रिया से अखिल ब्रह्मांड की संरचना को उजागर नहीं किया। ब्रह्मांड से समस्त रहस्य उन्होंने साधना आराधना तथा मंत्र शक्ति के बल पर ही आत्मानुभूति द्वारा सहज संभाव्य कर दिया है। प्रकृति की दिव्यता में ही परमात्म के विराट स्वरूप के दर्शन उन्होंने किये हैं। प्रकृति की अनुकंपा तथा प्रकोप को शांत करने के लिये मंत्राराधना उनकी सहज प्रक्रिया थी। यहां तक कि भाषा के स्वर और व्यंजन का एक-एक अक्षर मंत्र का काम करता है फिर मंत्रों की महिमा तो महान् है। सृष्टि के शुभारंभ से ही हमारे मंत्रद्रष्टा मनीषियों ने समयानुसार पूरे सम्वत्सर में उत्सवों की परंपरा में मंत्रों तथा साधना का लाभ स्वाभाविक रूप में प्राप्त करने की रीति रिवाज प्रस्थापित करके मानव मात्र का उपकार कर दिया है। जैसे बासंतिक तथा शारदीय नवरात्र के समय शक्ति की साधना करके जनकल्याणकारी अनिवार्यता हमारे जन-जन की भावना में समाया है। चार्तुमास में संसार का कल्याण करने वाले सदाशिव की आराधना प्रार्थना साधना करके हम लाभान्वित होकर जीवनोत्कर्ष प्राप्त करते हैं। आर्थिक प्रभाव का समाधान करने के लिये हम जगमाता मां महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करते हैं। श्रीसूक्तादि श्रेष्ठ स्तोत्रों का पठन-पाठन करते हैं। इसी प्रकार जातक के जन्मांगों में आई जटिल समस्याओं के समाधान के लिये ग्रहदासों को दूर करने के लिये ग्रहों के मंत्रों का जप साधना दान उपाय आदि किया जाता है। शिव-शक्ति की उपासना में संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी तथ्य दुर्गा सप्तशती, समस्त समस्याओं के समाधान के लिये सक्षम है। आवश्यकतानुसार मंत्रों का चयन करके उनके सवात्नक्षीय मंत्र जप से साधक इच्छा लाभ उठाते रहते हैं। मंत्र महोदधि की महिमा अनन्त है। हम उन्हीं कतिपय मंत्रों का विवरण विश्वास पूर्वक दे रहे हैं। जिनके द्वारा चार दशक से हम जनकल्याण की भावना से पीड़ित जनों को लाभान्वित किया जाता रहा है। मंत्र साधना में श्रद्धा विश्वास तथा नियम पूर्वक रहकर समर्पण भावना से साधन करना परमावश्यक है। ‘‘पहला सुख निरोगी काया।’’ के सिद्धांत को मानते हुये स्वास्थ्य की सुरक्षा सर्व प्रथम है। स्वास्थ्य लाभ के लिये महामृत्युंजय तथा मृत संजीवनी का प्रयोग करना चाहिये, महामृत्युंजय के भी कई उच्चारण सम्पुट भेद ऋषि-मुनियों द्वारा माने गये हैं जैसे ‘‘¬ हौं ¬ जूं सः भुर्भुवः स्वः त्रयम्बकं यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्यो र्मुक्षीय मा{मृतात।। ¬ भुर्भुवः स्वः जूं सः ह्रौं ¬ ।।’’ सामान्यतया रुद्राष्टाध्यायी में मूल मंत्र के श्लोक को इसक प्रकार सम्पुटित किया जाता है। ‘‘¬ हौं जूं सः ¬ भूर्वुवः स्वः त्रयम्बकं यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्यो र्मुक्षीय मा{मृतात।। स्वः भुवः भूः ¬ सः जूं हौ ¬ ।। श्लोक के साथ सम्पुट की विशेषता ही महामंत्र है। केवल मूल मंत्र में ‘‘¬ हौं जूं सः ।’’ का अधिकाधिक जप किया जाता है तो अच्छे परिणाम सामने आते हैं। मृत संजीविनी मंत्र के लिये अपने स्वयं के लिये निम्न प्रयोग किया जाता है। ‘‘¬ नमो भगवती मृत संजीविनी ‘मम’ रोग शान्ति कुरु कुरु स्वाहा।’’ दूसरों के लिये रोगी व्यक्ति का गोत्र नाम उच्चारण प्रत्येक मंत्र के साथ किया जाना चाहिये। मंत्रों के साथ आवश्यकतानुसार मृत्युंजय स्तोत्रों का पाठ अनुष्ठानों को विशेष बल प्रदान करने वाला होता है। इसमें अनुभवी विद्वानों द्वारा प्रेरित निर्दिष्ट होकर ही प्रयोग करना चाहिये। बिना विधि के परिचय विना प्रयोग प्रतिकूल फलदायी भी हो जाते हैं। ‘‘दूजा सुख घर में हो माया।’’ के अनुसार घर में सुख-समृद्धि के लिये स्तोत्र-मंत्र साधना निरंतर करनी चाहिये। प्रभावों से बचने के लिये समृद्धि की देवता महालक्ष्मी की उपासना करनी चाहिये। आर्थिक संपन्नता के लिये भी सूक्त, कनकधारा महालक्ष्मी स्तोत्र, श्री गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र, ललिताम्बा, त्रिपुरसुंदरी आदि स्तोत्रों का नित्य नैमित्यिक घरों तथा प्रतिष्ठानों में किया जाना ही चाहिये। विशेषतः ऋणहरण गणेश स्तोत्र तथा मंत्र जप ऋण विमुक्ति का वरदान देता रहता है। केवल मंत्र का पुरश्चरण भी पर्याप्त होता है। मंत्र: ¬ गौं गणेशं )ण छिन्दि वरेण्यं हुं नमः फट्।’’ का विधिवत सवा लाख जप के साथ घर में हवन करें। प्रतिष्ठान में हवन नहीं करना चाहिये। ‘‘तीजा सुख वैठन को छाया।’’ के अनुसार भी हनुमान भगवान की उपासना, मंगलस्तोत्र का पाठ जप हितकर होता है। श्री हनुमान जी की उपासना में श्री हनुमान चालीसा के सवा लाख पाठ तथा श्री वज्रंग वंदना एवं वज्रांग विनय स्तोत्रों का सहारा लेना चाहिये। प्रति मंगलवार को व्रत करें अथवा वन्दरों को केले-चने अथवा नमकीन वस्तु खिलानी चाहिये। श्री वाल्मीकि रामायण का श्री हनुमद् उद्घोष जप करना चाहिये। श्री हनुमान अष्टक भी सर्व विघ्नों के शमन के लिये उपयोगी है। चैथा सुख सुयोग सन्तति का माना गया है। इसके लिये भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करनी चाहिये। संतान गोपाल मंत्र तथा स्तोत्र के साथ श्री हरिवंशमहापुराण का किसी सिद्ध वक्ता से करना चाहिये। सन्तान प्राप्ति के लिये। ‘‘देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्णं तामहं शरणंगतः।।’’ का मंत्र जाप सर्वोपयोगी है। संतान की उत्पत्ति पैत्रिक ऋण से उऋण करती है। इसके अतिरिक्त जीवन में अनेक प्रभाव तथा समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। जन्मांगों, महादशाओं के दुष्प्रभावों के कारण व्यक्ति हताश होकर तिलमिला जाता है। राज्यकार्यों में असफलता की स्थिति में राज्य में विजयार्थ महामंत्रों का सहारा लेना पड़ता है। हमारे शास्त्रों में सभी महाकष्टों के उपाय तथा मंत्र उपस्थित है। जीवन में बहुत सी समस्यायें ऐसी आ जाती हैं जिनको सुलझाना कठिन हो जाता है। उनके लिये अन्ततः मंत्र शक्ति का सहारा लेना पड़ता है। जैसे विवाह विलंब, राज्य कार्यों में सफलता, खेल के मैदान में विजय, रोजगार में बंधन के कारण काफी असफलता, शत्रुबाधा, गृह कलह आदि में शांति समाधान। इन सभी के लिये विभिन्न मंत्रों स्तोत्रों तथा उपायों का सहारा लिये बिना सफलता नहीं मिलती है। अतः उनके लिये अनुभवी सज्जनों का निर्देशन आवश्यक है। पुस्तकों का परामर्श ही पर्याप्त नहीं होता। कभी-कभी मंत्रों का विपरीत प्रभाव हो जाता है अतः विधि विशेषज्ञता अवश्य समझनी आवश्यक है। संस्कृत के अतिरिक्त हमारे शाबर मंत्र बड़े मुटपटे होते हैं और तत्काल वृत्त फल देते हैं। श्री राम चरित मानस की सभी चैपाइयों को शाबर मंत्र मानना चाहिये। सकल जन साधारण अपने अटके कामों की सफलता के लिये श्री राम चरित मानस का अखंड पाठ करते कराते हैं। उन्हें अपने उद्देश्य की सहज सफलता प्राप्त हो जाती है। आवश्यकतानुसार चैपाइयों का स्वतंत्र जप करने से उद्देश्य सफल हो जाते हैं। हमारे मनीषी ऋषियों द्वारा प्रदत्त अनन्त साहित्य समृद्धि हमारे पास है। उसको समझकर तथा आवश्यकतानुसार सुधार करके हमारे ज्योतिष कार्यालय में सदाचारी विद्वानों द्वारा हम अनेक प्रयोग करते, करवाते हैं जिनमें हमें आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। दश विद्वानों की साधना के अतिरिक्त कालसर्प के सफल प्रयोगों का हमारे यहां प्रयोग होता रहता है। हमारे सभी प्रयोग सत्य सनातन शास्त्रानुसार सात्विक सरल सदाचरित और सिद्धिदायक होते हैं। यही हमारी सत्य सैद्धांतिक सारगर्भित सफल सिद्धि निष्ठा है। मंत्रों में हमारा पूर्ण विश्वास है।

Friday, January 2, 2015


*************************************************देवराहा बाबा- अलौकिक शक्ति और चमत्कार**


देवराहा बाबा- अलौकिक शक्ति और चमत्कार
विचित्रता के
लिए
मशहूर
भारत
को साधु-
संतों की भूमि के
रूप
में
जाना जाता है।
अपनी साधना,
अलौकिक
शक्ति और चमत्कार के लिए कई संत
पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इस बाबा का नाम
देवराहा बाबा है। देवराहा बाबा के भक्तों में कई बड़े
लोगों का नाम शुमार है। डॉ राजेंद्र प्रसाद,
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,
अटल बिहारी वाजपेयी, लालू
प्रसाद, मुलायम सिंह और
कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता हर
समस्या के समाधान के लिए बाबा की शरण में
आते थे। मार्कण्डेय सिंह के मुताबिक, वह
किसी महिला के गर्भ से
नहीं बल्कि पानी से अवतरित
हुए थे। यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक
पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे।
उनको जानवरों की भाषा समझ में
आती थी। खतरनाक
जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर
लेते थे।
वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे।
मंगलवार, 19 जून सन् 1990
को योगिनी एकादशी के दिन
अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में
संशय
है। कहा जाता है कि वह करीब 900
साल तक जिन्दा थे। (बाबा के संपूर्ण जीवन के
बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग
उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल
मानते हैं।)
मार्कण्डेय महराज के मुताबिक, पूरे जीवन
निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट
उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह
नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के
लिए आते थे। इनके भक्त पूरी दुनिया में फैले
हैं। राजनेता, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े
अधिकारी उनके शरण में रहते थे।
वह अवतारी व्यक्ति थे।
उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था।
वह फोटो कैमरे और
टीवी जैसी चीजों को देख
अचंभित रह जाते थे। वह उनसे
अपनी फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन
आश्चर्य की बात यह
थी कि उनका फोटो नहीं बनता था।
वह नहीं चाहते तो रिवाल्वर से
गोली नहीं चलती थी।
उनका निर्जीव वस्तुओं पर नियंत्रण था।कुंभ
मेले के दौरान बाबा अलग-अलग जगहों पर प्रवास
किया करते थे। गंगा-यमुना के तट पर उनका मंच
लगता था।
वह 1-1 महीने दोनों के किनारे रहते थे।
जमीन से कई फीट ऊंचे स्थान पर
बैठकर वह लोगों को आशीर्वाद दिया करते थे।
जनश्रूति के मुताबिक, वह
खेचरी मुद्रा की वजह से
आवागमन से
कहीं भी कभी भी चले
जाते थे। उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे
नहीं होते थे। चारों तरफ सुंगध
ही सुंगध होता था।
बाबा सभी के मन की बातें जान लेते
थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ
नहीं खाया। सिर्फ दूध और शहद
पीकर जीते थे।
श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था।

कामिया - सिन्दूर - मोहन - मंत्र 

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 “हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास-पर्वत से आया।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल
हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुरु, सत् कबीर।
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 विधि- आसाम के ‘काम-रुप कामाख्या, क्षेत्र में
‘कामीया-सिन्दूर’ पाया जाता है। इसे प्राप्त
कर लगातार सात रविवार तक उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप करें। इससे मन्त्र सिद्ध
हो जाएगा। प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’
पर ७ बार उक्त मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहाँ जाएँगे,
सभी वशीभूत होंगे।

 आकर्षण एवं वशीकरण के प्रबल सूर्य मन्त्र
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 १॰ “ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्त्र-
किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव-ग्रह-दश-
दिक्-पाल-लक्ष्मी-देव-वाय, धर्म-कर्म-
सहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहय मोहय,
आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु-कुरु, वश कुरु-कुरु
स्वाहा।” विधि- सुर्यदेव का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप प्रतिदिन ९ दिन तक करने से
‘आकर्षण’ का कार्य सफल होता है।

२॰ “ऐं पिन्स्थां कलीं काम-पिशाचिनी शिघ्रं
‘अमुक’ ग्राह्य ग्राह्य, कामेन मम रुपेण
वश्वैः विदारय विदारय, द्रावय द्रावय, प्रेम-पाशे बन्धय बन्धय, ॐ श्रीं फट्।”
विधि- उक्त मन्त्र को पहले पर्व, शुभ समय में
२०००० जप कर सिद्ध कर लें। प्रयोग के समय
‘साध्य’ के नाम का स्मरण करते हुए प्रतिदिन
१०८ बार मन्त्र जपने से ‘वशीकरण’ हो जाता है।
---------------------------------------------------------- रमेश  दुबे  "पंडित "