Friday, January 2, 2015


*************************************************देवराहा बाबा- अलौकिक शक्ति और चमत्कार**


देवराहा बाबा- अलौकिक शक्ति और चमत्कार
विचित्रता के
लिए
मशहूर
भारत
को साधु-
संतों की भूमि के
रूप
में
जाना जाता है।
अपनी साधना,
अलौकिक
शक्ति और चमत्कार के लिए कई संत
पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इस बाबा का नाम
देवराहा बाबा है। देवराहा बाबा के भक्तों में कई बड़े
लोगों का नाम शुमार है। डॉ राजेंद्र प्रसाद,
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,
अटल बिहारी वाजपेयी, लालू
प्रसाद, मुलायम सिंह और
कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता हर
समस्या के समाधान के लिए बाबा की शरण में
आते थे। मार्कण्डेय सिंह के मुताबिक, वह
किसी महिला के गर्भ से
नहीं बल्कि पानी से अवतरित
हुए थे। यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक
पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे।
उनको जानवरों की भाषा समझ में
आती थी। खतरनाक
जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर
लेते थे।
वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे।
मंगलवार, 19 जून सन् 1990
को योगिनी एकादशी के दिन
अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में
संशय
है। कहा जाता है कि वह करीब 900
साल तक जिन्दा थे। (बाबा के संपूर्ण जीवन के
बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग
उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल
मानते हैं।)
मार्कण्डेय महराज के मुताबिक, पूरे जीवन
निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट
उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह
नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के
लिए आते थे। इनके भक्त पूरी दुनिया में फैले
हैं। राजनेता, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े
अधिकारी उनके शरण में रहते थे।
वह अवतारी व्यक्ति थे।
उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था।
वह फोटो कैमरे और
टीवी जैसी चीजों को देख
अचंभित रह जाते थे। वह उनसे
अपनी फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन
आश्चर्य की बात यह
थी कि उनका फोटो नहीं बनता था।
वह नहीं चाहते तो रिवाल्वर से
गोली नहीं चलती थी।
उनका निर्जीव वस्तुओं पर नियंत्रण था।कुंभ
मेले के दौरान बाबा अलग-अलग जगहों पर प्रवास
किया करते थे। गंगा-यमुना के तट पर उनका मंच
लगता था।
वह 1-1 महीने दोनों के किनारे रहते थे।
जमीन से कई फीट ऊंचे स्थान पर
बैठकर वह लोगों को आशीर्वाद दिया करते थे।
जनश्रूति के मुताबिक, वह
खेचरी मुद्रा की वजह से
आवागमन से
कहीं भी कभी भी चले
जाते थे। उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे
नहीं होते थे। चारों तरफ सुंगध
ही सुंगध होता था।
बाबा सभी के मन की बातें जान लेते
थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ
नहीं खाया। सिर्फ दूध और शहद
पीकर जीते थे।
श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था।

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