कामिया - सिन्दूर - मोहन - मंत्र
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“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास-पर्वत से आया।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल
हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुरु, सत् कबीर।
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विधि- आसाम के ‘काम-रुप कामाख्या, क्षेत्र में
‘कामीया-सिन्दूर’ पाया जाता है। इसे प्राप्त
कर लगातार सात रविवार तक उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप करें। इससे मन्त्र सिद्ध
हो जाएगा। प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’
पर ७ बार उक्त मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहाँ जाएँगे,
सभी वशीभूत होंगे।
‘कामीया-सिन्दूर’ पाया जाता है। इसे प्राप्त
कर लगातार सात रविवार तक उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप करें। इससे मन्त्र सिद्ध
हो जाएगा। प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’
पर ७ बार उक्त मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहाँ जाएँगे,
सभी वशीभूत होंगे।
आकर्षण एवं वशीकरण के प्रबल सूर्य मन्त्र
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१॰ “ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्त्र-
किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव-ग्रह-दश-
दिक्-पाल-लक्ष्मी-देव-वाय, धर्म-कर्म-
सहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहय मोहय,
आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु-कुरु, वश कुरु-कुरु
स्वाहा।” विधि- सुर्यदेव का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप प्रतिदिन ९ दिन तक करने से
‘आकर्षण’ का कार्य सफल होता है।
किरणाय ऐं अतुल-बल-पराक्रमाय नव-ग्रह-दश-
दिक्-पाल-लक्ष्मी-देव-वाय, धर्म-कर्म-
सहितायै ‘अमुक’ नाथय नाथय, मोहय मोहय,
आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु-कुरु, वश कुरु-कुरु
स्वाहा।” विधि- सुर्यदेव का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र
का १०८ बार जप प्रतिदिन ९ दिन तक करने से
‘आकर्षण’ का कार्य सफल होता है।
२॰ “ऐं पिन्स्थां कलीं काम-पिशाचिनी शिघ्रं
‘अमुक’ ग्राह्य ग्राह्य, कामेन मम रुपेण
वश्वैः विदारय विदारय, द्रावय द्रावय, प्रेम-पाशे बन्धय बन्धय, ॐ श्रीं फट्।”
विधि- उक्त मन्त्र को पहले पर्व, शुभ समय में
२०००० जप कर सिद्ध कर लें। प्रयोग के समय
‘साध्य’ के नाम का स्मरण करते हुए प्रतिदिन
१०८ बार मन्त्र जपने से ‘वशीकरण’ हो जाता है।
---------------------------------------------------------- रमेश दुबे "पंडित "
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