अंक ब्रह्म समम् ब्याप्तिः पञ्च परम विशेषतः |
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[१] पञ्च तत्व –क्षिति ,जल ,पावक ,गगन ,समीर |
[२]पंचामृत ---गो दुग्धं शर्करा चैब घृतं दधि तथा मधुः|
[३] पञ्च पल्लव –अश्वस्थो दुम्बर प्लक्ष च्युत्त न्यग्रोध संभवा[आम ,पीपर,वर,प्लक्ष आ उदुम्बर ] [४] पञ्च देव ---सूर्य ,अग्नि ,विष्णु,दुर्गा शिव |[राति मे सूर्य स्थाने गणेश ]
[५] पञ्च प्रयाग –देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग ,कर्णप्रयाग, नन्दप्रयाग , विष्णुप्रयाग |
[६] पञ्च कन्या –अहिल्या ,द्रौपदी ,तारा ,कुंती तथा मंदोदरी |
[७]पञ्च पांडव –युधिष्ठिर ,भीम ,अर्जुन ,नकुल ,सहदेव |
[८] पंचाँग – तिथि ,वार ,योग ,नक्षत्र ,करण |
[९] पञ्च गव्य –गाएक गोबर ,मूत्र ,दूध ,दही ,घृत |
[१०] पञ्च भगिनी ---त्रिपुरा ,कालिका ,दुर्गा ,भवानी ,गिरिजा |
[११] पञ्च रत्न –नीलकं,वज्रकं चेति पद्म रागश्च मौक्तिकम् | प्रवालं चेति विज्ञेयं पंचरत्नम् मनीषिभिः...................... ....................... ]१२]पंचोपचार – गंध ,पुष्प ,धूप दीप ,नैवैद्य|
[१३] पञ्च यज्ञ –अध्यापनं ,ब्रह्म यज्ञः पितृ यग्यस्तु तर्पणम् |
[१४] पञ्च पर्व –अमावाश्या ,पुर्णीमा ,सूर्य संक्रान्ति अष्टमी ,चतुर्दशी |
[१५]पंचवाण – आम ,अशोक ,प्रसून ,कोकिल चंद्रमा |
[१६] पंचपात्र –पाद्य ,अर्घ्र्य ,आचमनीय ,मधुपर्क ,पुनराचमनीय पात्रानि |
[१७]पञ्च दान – श्राधक प्रकार –पात्र ,शय्या ,परिधान ,छत्र उपानद तथा गोदान|
[१८] पंचानन –शिवक पर्याय |
[१९ ]पंचांग प्रणाम –वाहुभ्यांचैब जानुभ्यां शिरसा वक्षसा दृशा |
[२०] पञ्च लोक पालाः---विनायकादि पंचकं – विनायक ,अम्बिका ,वायु ,आकाश अश्विनौ |
[२१] पञ्च मकार –मद ,मस्त्य ,माँस ,मदिरा तथा मैथुन |
[२२] पञ्चयन्य – विष्णुक शंख |
[२३] पञ्च काम –दरस ,परस ,आलिंगन ,चुम्बन तथा सम्भोग |
[२४] पञ्च प्रीति –श्रवन आकर्षण ,संभाषाण ,सम्मोहन ,बशीकरण |
[२५] पञ्च श्रृंगार –अलक ,तिलक ,अंगराग ,वसन,आभूषण |
[२६] पंचनेमः –व्रत ,पूजा ,पाठ ,होम ,दान |
[२७] पञ्च वायु ---श्व्वास ,प्रश्वास ,ढेकार ,छींक ,वायुत्याग |
[२८] पञ्च ज्ञान ---श्रवन ,मनन ,चिंतन ,स्मरण ,कथन |
[२९] पंचकाल –उषा ,प्रभात ,मध्यान्ह ,गोधुली ,एबम संध्या |
[३०] पञ्च सकार –श्वसुर ,सासु, सार ,सारि सरहोजि |
[३१] पञ्च महादान –अन्न दान ,वस्त्र दान ,गोदान ,कन्यादान ,भूमि दान |
[३२] पञ्चशाला –पाठ शाला ,यज्ञशाला ,धर्मशाला ,देवशाला ,गोशाला |
[३३] पञ्चकर्म – पितृकर्म ,[मतृ-पितृ श्राद्ध ,पार्वण ,तर्पण आदि ,--देवकर्म –[पूजा ,पाठ ,यज्ञादि ] दानकर्म ,सेवाकर्म सत्कर्म |
[३४] पंचस्वजन ---सज्जन ,संत ,सेवक ,श्रेष्ठ ,मित्र |
[३५] पञ्चसेव्य – श्रद्धा ,शील ,संत ,सुहृद ,सम्मति |
[३६] पञ्चत्याज्य – काम ,क्रोध ,लोभ ,मद ,मोह .|
[३७] पञ्चग्रन्थपूज्य –वेद ,पुराण ,उपनिषद्,गीता ,रामायण |
[३८] पञ्चऋण—मातृऋण, पितृऋण ,देवऋण, गुरुऋण,राष्ट्रऋण |
[३९] पञ्च पाश –ब्रम्ह पाश ,वज्रपाश नागपाश ,भवपाश,यमपाश |
[४०] पंचबल –धनबल ,जनबल ,बाहुबल ,बुद्धिबल ,भाग्यबल |
[४१] पञ्चरात्रि ---नवरात्रि ,कालरात्रि ,मोहरात्रि ,शिवरात्रि ,सुखरात्रि |
[४२]पंचमल –मल ,मूत्र ,कफ ,पित्त ,वायु |
[४३] पंचस्मरणीय—माता ,पिता ,पितर ,गुरु ,ब्रह्म |
[४४] पंचवन – वृन्दावन ,वद्रीवन, दंडकवन बिल्ववन ,सुन्दर वन |
[४५] पंचनाथ – सोमनाथ ,रामेश्वरनाथ ,वैद्यनाथ ,पारसनाथ ,केदारनाथ |
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[१] पञ्च तत्व –क्षिति ,जल ,पावक ,गगन ,समीर |
[२]पंचामृत ---गो दुग्धं शर्करा चैब घृतं दधि तथा मधुः|
[३] पञ्च पल्लव –अश्वस्थो दुम्बर प्लक्ष च्युत्त न्यग्रोध संभवा[आम ,पीपर,वर,प्लक्ष आ उदुम्बर ] [४] पञ्च देव ---सूर्य ,अग्नि ,विष्णु,दुर्गा शिव |[राति मे सूर्य स्थाने गणेश ]
[५] पञ्च प्रयाग –देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग ,कर्णप्रयाग, नन्दप्रयाग , विष्णुप्रयाग |
[६] पञ्च कन्या –अहिल्या ,द्रौपदी ,तारा ,कुंती तथा मंदोदरी |
[७]पञ्च पांडव –युधिष्ठिर ,भीम ,अर्जुन ,नकुल ,सहदेव |
[८] पंचाँग – तिथि ,वार ,योग ,नक्षत्र ,करण |
[९] पञ्च गव्य –गाएक गोबर ,मूत्र ,दूध ,दही ,घृत |
[१०] पञ्च भगिनी ---त्रिपुरा ,कालिका ,दुर्गा ,भवानी ,गिरिजा |
[११] पञ्च रत्न –नीलकं,वज्रकं चेति पद्म रागश्च मौक्तिकम् | प्रवालं चेति विज्ञेयं पंचरत्नम् मनीषिभिः......................
[१३] पञ्च यज्ञ –अध्यापनं ,ब्रह्म यज्ञः पितृ यग्यस्तु तर्पणम् |
[१४] पञ्च पर्व –अमावाश्या ,पुर्णीमा ,सूर्य संक्रान्ति अष्टमी ,चतुर्दशी |
[१५]पंचवाण – आम ,अशोक ,प्रसून ,कोकिल चंद्रमा |
[१६] पंचपात्र –पाद्य ,अर्घ्र्य ,आचमनीय ,मधुपर्क ,पुनराचमनीय पात्रानि |
[१७]पञ्च दान – श्राधक प्रकार –पात्र ,शय्या ,परिधान ,छत्र उपानद तथा गोदान|
[१८] पंचानन –शिवक पर्याय |
[१९ ]पंचांग प्रणाम –वाहुभ्यांचैब जानुभ्यां शिरसा वक्षसा दृशा |
[२०] पञ्च लोक पालाः---विनायकादि पंचकं – विनायक ,अम्बिका ,वायु ,आकाश अश्विनौ |
[२१] पञ्च मकार –मद ,मस्त्य ,माँस ,मदिरा तथा मैथुन |
[२२] पञ्चयन्य – विष्णुक शंख |
[२३] पञ्च काम –दरस ,परस ,आलिंगन ,चुम्बन तथा सम्भोग |
[२४] पञ्च प्रीति –श्रवन आकर्षण ,संभाषाण ,सम्मोहन ,बशीकरण |
[२५] पञ्च श्रृंगार –अलक ,तिलक ,अंगराग ,वसन,आभूषण |
[२६] पंचनेमः –व्रत ,पूजा ,पाठ ,होम ,दान |
[२७] पञ्च वायु ---श्व्वास ,प्रश्वास ,ढेकार ,छींक ,वायुत्याग |
[२८] पञ्च ज्ञान ---श्रवन ,मनन ,चिंतन ,स्मरण ,कथन |
[२९] पंचकाल –उषा ,प्रभात ,मध्यान्ह ,गोधुली ,एबम संध्या |
[३०] पञ्च सकार –श्वसुर ,सासु, सार ,सारि सरहोजि |
[३१] पञ्च महादान –अन्न दान ,वस्त्र दान ,गोदान ,कन्यादान ,भूमि दान |
[३२] पञ्चशाला –पाठ शाला ,यज्ञशाला ,धर्मशाला ,देवशाला ,गोशाला |
[३३] पञ्चकर्म – पितृकर्म ,[मतृ-पितृ श्राद्ध ,पार्वण ,तर्पण आदि ,--देवकर्म –[पूजा ,पाठ ,यज्ञादि ] दानकर्म ,सेवाकर्म सत्कर्म |
[३४] पंचस्वजन ---सज्जन ,संत ,सेवक ,श्रेष्ठ ,मित्र |
[३५] पञ्चसेव्य – श्रद्धा ,शील ,संत ,सुहृद ,सम्मति |
[३६] पञ्चत्याज्य – काम ,क्रोध ,लोभ ,मद ,मोह .|
[३७] पञ्चग्रन्थपूज्य –वेद ,पुराण ,उपनिषद्,गीता ,रामायण |
[३८] पञ्चऋण—मातृऋण, पितृऋण ,देवऋण, गुरुऋण,राष्ट्रऋण |
[३९] पञ्च पाश –ब्रम्ह पाश ,वज्रपाश नागपाश ,भवपाश,यमपाश |
[४०] पंचबल –धनबल ,जनबल ,बाहुबल ,बुद्धिबल ,भाग्यबल |
[४१] पञ्चरात्रि ---नवरात्रि ,कालरात्रि ,मोहरात्रि ,शिवरात्रि ,सुखरात्रि |
[४२]पंचमल –मल ,मूत्र ,कफ ,पित्त ,वायु |
[४३] पंचस्मरणीय—माता ,पिता ,पितर ,गुरु ,ब्रह्म |
[४४] पंचवन – वृन्दावन ,वद्रीवन, दंडकवन बिल्ववन ,सुन्दर वन |
[४५] पंचनाथ – सोमनाथ ,रामेश्वरनाथ ,वैद्यनाथ ,पारसनाथ ,केदारनाथ |
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