Thursday, December 19, 2013

सिन्दूर
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भगवान की पूजा में सिंदूर का भी उपयोग किया जाता है। यह गहरे नारंगी या भगवा रंग का होता है। पूजा में न केवल सिंदूर चढ़ाया जाता है बल्कि देवताओं की मूर्तियों पर सिंदूर का चोला भी चढ़ाया जाता है। आमतौर पर हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। पूजा में सिंदूर को चढ़ाने का अपना महत्व है।

पूजा में इस मंत्र उच्चारण होता है- सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ अर्थात- लाल रंग का सिंदूर शोभा, सौभाग्य और सुख बढ़ाने वाला है। शुभ और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। हे देव! आप स्वीकार करें।

इसी प्रकार देवी-देवताओं के लिए यह मंत्र उच्चारित करें- सिन्दूरमरुणाभासं जपाकुसुमसनिभम्। अर्पितं ते मया भक्त्या प्रसीद परमेश्वरि॥ अर्थात- प्रात:कालीन सूर्य की आभा तथा जवाकुसुम की तरह सिंदूर आपको हम अर्पित करते हैं। हे मां! आप प्रसन्न हों।

सिंदूर का महत्व पूजा में तो है ही लेकिन इसका उपयोग महिलाओं द्वारा विवाह के पश्चात मांग भरने में भी किया जाता रहा है। आजकल सिंदूर से मांग भरने का चलन खत्म-सा हो गया है। सिंदूर से मांग भरने का वैज्ञानिक महत्व भी है। इससे महिला के शरीर में स्थित वैद्युतिक उत्तेजना नियंत्रित होती है। सिंदूर में पारा होता है। इससे महिलाओं के सिर में होने वाली, जूं, लीख (डेन्ड्रफ) भी नष्ट होती है .............

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