शनि - जयंती
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शास्त्रों के अनुसार शनि देव जी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।
इस बार शनि जयंती 08 जून 2013 दिन शनिवार की पड़ रही है। शनिवार को पड़ने के कारण इस दिन शनिदेव से विशिष्ट कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय किये जा सकते हैं।
शनि अमावस्या तथा शनि जयंती का ये अद्भुत संगम है।
शनि तुला राशी में उच्च के होकर स्वाति नक्षत्र में विराजमान होंगे। स्वाति नक्षत्र राहु का है तथा शनि की राहु के साथ तुला राशी में युति भी बन रही है। राहु शान्ति का ये बहुत ही विशेष दिन रहेगा।
आज में यहाँ अपने दोस्तों को शनि जयंती पर पूजा की एक ऐसी अद्भुत विधि बता रहा हूँ जिसको करने से मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की शनि तथा राहु जनित सभी परेशानियां दूर हो जायेंगी।
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें।
पूजा क्रम शुरू करते हुए सबसे पहले शनिदेव के इष्ट भगवान शिव का 'ऊँ नम: शिवाय' बोलते हुए गंगाजल, कच्चा दूध तथा काले तिल से अभिषेक करें। अगर घर में पारद शिवलिंग हैं तो उनका अभिषेक करें अन्यथा शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें। भांग, धतुरा एवं हो सके तो 108 आंकडे के फूल जरूर चढ़ाएं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम को उच्चारण करें।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
उसके बाद महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जप करें।
"ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।"
शिवपूजा के बाद माँ दुर्गा की पूजा करें जिससे की राहु के अशुभ फल समाप्त होकर शुभ फल की प्राप्ति हो। दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, अर्गला स्तोत्र तथा सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें
उसके पश्च्यात रुद्रावतार श्री हनुमान को चोला चढ़ाकर उनके समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं। लाल फूल तथा गूगल की धुप अर्पित करें। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार जप करें। अगर सुंदरकांड का पाठ का पाठ कर सकें तो अतिउत्तम।
उसके पश्च्यात 108 तुलसी के पत्तों पर श्री राम चन्द्र जी का नाम लिखकर, पत्तों को सूत्र में पिड़ोएं और माला बनाकर श्री हरि विष्णु के गले में डालें।
अब शनिदेव की पूजा शुरू करते हुए सर्वप्रथम शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
“ऊँ शं शनैश्चराय नम” का निरंतर जप करते रहे
उसके बाद पान का पत्ता, सुपारी, श्यामा तुलसी (काली तुलसी) शनि देव को अर्पित करें।
उसके बाद 8 वस्तुओं की काले कपड़े पोटली बना लें - काली उड़द, काले तिल, कोयला, प्रयोग किये ही वस्त्र का टुकड़ा, काले चने, 8 दाने काली मिर्च, काले-नीले पुष्प, लोहे की वस्तु. ऐसा करकर पोटली को अपने ऊपर से 7 बार उतारकर शनि देव के चरणों में रख दीजिए।
सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा कस्तूरी अथवा चन्दन की धूप अर्पित करें
शनि के वैदिक मंत्र का उच्चारण करें
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥"
अब दशरथ कृत शनि स्त्रोत्र का पाठ करें
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
इसके बाद जल, दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।
घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर इस तेल का कटोरी सहित दान करें। कटोरी अगर कांसे की हो तो अति सुन्दर अन्यथा लोहे/स्टील की भी ले सकते हैं
अगर शनि ज्यादा अशुभ फल दे रहा है तो शनि का उपरत्न, 800 ग्राम काली साबुत उड़द, इतना ही सरसों का तेल, आठ स्टील के बर्तन, 800 ग्राम कुल्थी, काला तथा सफ़ेद नमक, हवन सामग्री, आठ लोहे की बड़ी कीले, आठ 1 रुपए के सिक्के, सुरमा तथा काजल, काले वस्त्र, भैंस का खिलौना, पांच फल, गुड, काले पुष्प, कम्बल, चमड़े के जूते, छाता तथा कुछ दक्षिणा दोपहर के बजे दान करें।
शाम को सूर्यास्त के बाद काले कपड़े में आठ सौ ग्राम लकड़ी के कोयले व एक नारियल रखकर अपने ऊपर से उतार कर जल में प्रवाहित करें।
सूर्यास्त के बाद आटे से बना चौमुखी दीपक पीपल के नीचे जलाएं
शाम को भैरव दर्शन कर इमरती का प्रसाद चढ़ाना तथा भैरों वाहन काले कुत्ते को इमारती खिलाना न भूलें.....
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